Thursday, September 4, 2025

अब मुझ से ये कैसी अदावत

हाँ उन जैसा ही दिखता हूँ पिछली नस्लों का टुकड़ा हूँ

भेद नहीं था मेरे मन में

सोचा था मैं भी दरिया हूँ


इक दुनिया है मेरे अंदर

मैं उस में केवल रहता हूँ


कहता हूं जंजीरें तोडो

हाँ मैं उकसाने आया हूँ


हर इंसां कुछ ढूंढ रहा है कहता है मैं नचिकेता हूँ


अब मुझ से ये कैसी अदावत

मैं तो कब का बीत चुका हूँ


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अनंत ढवळे


ہاں ان جیسا ہی دِکھتا ہوں 

پِچْھلی  نصلوں کا ٹُکڑا ہوں

  


بھید نہیں تھا میرے من میں 

سوچا تھا میں بھی دریا ہوں 


اک دنیا ہے میرے اندر 

میں اس میں کیول رہتا ہوں 


کہتا ہوں زنجیریں توڑو 

ہان میں اکسانے آیا ہوں 


ہر انسا کچھ ڈھونڈ رہا ہے کہتا ہے میں نچیکیتا ہوں 

اب مجھ سے یہ کیسی عداوت 

میں تو کب کا بیت چکا ہوں

اننت ڈھَوَلے مُشفق


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