Saturday, March 4, 2023

एक नज़्म

 आओ

अपने अपने असरार खोल दें
बन जाएं बादे सबा

ओढ़ लें साँझ का नीलापन

साल हा साल मुंतज़र खड़े पेड़ों का इंतज़ार बन जाएँ


Anant Dhavale

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